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गठिया बाय (gathiya bai), जिसे अंग्रेजी में आर्थ्राइटिस कहा जाता है। एक सामान्य लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसके लिए आपको गठिया रोग अस्पताल में अपनी जाँच करवानी चाहिए। यह मुख्य रूप से जोड़ों में दर्द, सूजन और कठोरता का कारण बनती है। गठिया रोग कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से सबसे आम ऑस्टियोआर्थ्राइटिस और रूमेटोइड आर्थ्राइटिस हैं। इस ब्लॉग में, हम गठिया रोग के विभिन्न प्रकारों, उनके कारणों, लक्षणों और उपचार के बताएंगे। बुजुर्गों में गठिया रोग की सबसे अधिक संभावना होती है। इसलिए रुमेटोलॉजिस्ट इस बीमारी के उपचार में मुख्य भूमिका निभाते हैं। वे बुजुर्गों के स्वास्थ्य और विकास के विशेषज्ञ होते हैं और गठिया रोग के लक्षणों(gathiya ke lakshan) की पहचान, निदान और उपचार में माहिर होते हैं।
फेलिक्स हॉस्पिटल में अनुभवी रुमेटोलॉजिस्ट मौजूद हैं। हम गठिया रोग पर आपके किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्ष्म है। ज्यादा जानकारी के लिए हमें कॉल करें +91 9667064100
गठिया (आर्थ्राइटिस) एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जिसमें जोड़ों में सूजन, दर्द, कठोरता और गतिशीलता में कमी होती है। यह एक विस्तृत समूह का रोग है जिसमें 100 से अधिक प्रकार शामिल हैं। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह बुजुर्गों में अधिक आम है। गठिया रोग(gathiya rog) के सबसे आम प्रकारों में ऑस्टियोआर्थ्राइटिस, रूमेटोइड आर्थ्राइटिस, गाउट, और एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस शामिल हैं। गठिया रोग के कारण जटिल और बहुआयामी होते हैं। इसमें आनुवांशिक, पर्यावरणीय, जीवनशैली और हार्मोनल कारक शामिल हैं। गठिया रोग के जोखिम को कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन महत्वपूर्ण हैं। यदि आप गठिया रोग के लक्षण महसूस करते हैं, तो समय पर चिकित्सकीय परामर्श लें और उचित उपचार प्राप्त करें।
सही जानकारी और सावधानी बरतने से गठिया बाय (Gathiya bai) के विकास को नियंत्रित किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।
ऑस्टियोआर्थ्राइटिस (OA) :
यह गठिया रोग (gathiya rog) का सबसे आम प्रकार है, जो मुख्य रूप से उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों की उपास्थि (कार्टिलेज) के घिसने से होता है। यह जोड़ों के अत्यधिक उपयोग या चोट के परिणामस्वरूप भी हो सकता है। । सामान्यत: घुटनों, कूल्हों, हाथों, और रीढ़ की हड्डी में दर्द, जोड़ों में दर्द, सूजन और कठोरता इसके लक्षण हैं।
रूमेटोइड आर्थ्राइटिस (RA) :
यह जोड़ों में सूजन, दर्द, और लालिमा वाला एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही जोड़ों के टिश्यू पर हमला करती है। यह अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है। यह अक्सर हाथों, कलाई, और पैरों के छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है।
गाउट (Gout) :
यह यूरिक एसिड के क्रिस्टल के जमाव के कारण होता है, जो जोड़ों में तीव्र दर्द और सूजन का कारण बनता है। यह अधिकतर पुरुषों में देखा जाता है और अक्सर पैर के अंगूठे में होता है। अचानक और जोड़ों में गंभीर दर्द, सूजन, और लालिमा इसके लक्षण हैं।
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) :
यह एक प्रकार का आर्थ्राइटिस है जो मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। यह ज्यादातर युवा पुरुषों को प्रभावित करता है और इसके पीछे भी ऑटोइम्यून तंत्र शामिल होता है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द और कठोरता, जो आराम करने के बाद कम हो जाती है। इसके लक्षण हैं।
गठिया (आर्थ्राइटिस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। इसके कई प्रकार हैं और हर प्रकार के लक्षण थोड़े अलग हो सकते हैं।
गठिया रोग के सबसे सामान्य और प्रमुख लक्षणों(gathiya ke lakshan) में से एक जोड़ों में दर्द है। यह दर्द हल्का या गंभीर हो सकता है और यह स्थायी या अस्थायी हो सकता है।
प्रभावित जोड़ों में सूजन हो सकती है। यह सूजन जोड़ों को बड़ा और गर्म बना सकती है।
खासकर सुबह के समय या एक प्रकार से लंबे समय तक बैठने के बाद जोड़ों में कठोरता महसूस हो सकती है।
सूजन वाले जोड़ों के आसपास की त्वचा लाल हो सकती है।
प्रभावित जोड़ों की गतिशीलता में कमी हो सकती है। जोड़ों का सामान्य रूप से हिलाना-डुलाना कठिन हो सकता है।
गठिया रोग (gathiya rog) से पीड़ित व्यक्ति को थकान महसूस हो सकती है। यह थकान किसी भी शारीरिक गतिविधि के बिना भी हो सकती है।
प्रभावित जोड़ों में हल्की-हल्की दरारें महसूस हो सकती हैं।
शारीरिक गतिविधि के बाद दर्द में वृद्धि होती है।
हड्डियों के किनारों पर अतिरिक्त हड्डी का विकास।
थकान, बुखार और वजन घटाना।
अचानक और तीव्र दर्द विशेषकर पैर के अंगूठे में।
प्रभावित जोड़ों में तीव्र लालिमा और सूजन।
तापमान में वृद्धि यानी प्रभावित क्षेत्र गर्म महसूस हो सकता है।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द यानी कि यह दर्द आराम करने के बाद कम होता है।
रीढ़ की हड्डी में दर्द सुबह के समय या एक स्थान पर लंबे समय तक बैठने के बाद।
सिरदर्द और गर्दन का दर्द यानी खासकर अगर रीढ़ की हड्डी के ऊपरी हिस्से में सूजन हो।
पूरे शरीर में दर्द यानी की जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ-साथ मांसपेशियों में दर्द।
विशेषकर चेहरे पर तितली के आकार का दाना।
गठिया (आर्थ्राइटिस) एक व्यापक स्वास्थ्य समस्या है जो जोड़ों में सूजन, दर्द, और कठोरता का कारण बनती है यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है और इसके विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें ऑस्टियोआर्थ्राइटिस, रूमेटोइड आर्थ्राइटिस, गाउट, और एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस शामिल हैं। गठिया के कारण जटिल और बहुआयामी होते हैं, जिनमें आनुवांशिक, पर्यावरणीय, और जीवनशैली संबंधी कारक शामिल हैं।
गठिया के कई प्रकारों में आनुवांशिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आपके परिवार में किसी को गठिया रोग है, तो आपमें इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
रूमेटोइड आर्थ्राइटिस यह एक ऑटोइम्यून रोग है और इसके विकसित होने की संभावना उन लोगों में अधिक होती है जिनके परिवार में यह समस्या पहले से है।
गाउट में यूरिक एसिड के स्तर में आनुवांशिक अंतर गाउट के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (एचएलए) में HLA-DRB1 जीन वेरिएंट रूमेटोइड आर्थ्राइटिस के जोखिम को बढ़ा सकता है।
COL2A1 यह जीन ऑस्टियोआर्थ्राइटिस से संबंधित हो सकता है। क्योंकि यह उपास्थि की संरचना को प्रभावित करता है।
गठिया बाय(gathiya bai) के कुछ प्रकार, जैसे रूमेटोइड आर्थ्राइटिस, प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी के कारण होते हैं। सामान्यतया, प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को हानिकारक जीवाणुओं और वायरस से बचाती है। लेकिन रूमेटोइड आर्थ्राइटिस में, यह प्रणाली गलती से अपने ही जोड़ों के ऊतकों पर हमला कर देती है, जिससे सूजन और दर्द होता है।
कुछ बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण गठिया रोग के विकास को प्रेरित कर सकते हैं। यह रिएक्टिव आर्थ्राइटिस है। यह एक प्रकार का गठिया है जो यूरीनरी या आंतों के संक्रमण के बाद हो सकता है(gathiya kaise hota hai)।
लाइम रोगः यह बैक्टीरिया बोरलिया बर्गडोर्फेरी द्वारा फैलता है और इससे गठिया रोग(gathiya rog) हो सकता है।
जो लोग पुराने चोटों से पीड़ित हैं, वे ऑस्टियोआर्थ्राइटिस के विकास के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। चोटें उपास्थि को नुकसान पहुंचा सकती हैं। जिससे जोड़ों का सही से काम करना कठिन हो जाता है।
कुछ पेशे और गतिविधियां जोड़ों पर लगातार दबाव डालती हैं, जैसे खेल, वजन उठाना, और लगातार एक ही गतिविधि करना। यह जोड़ों की उपास्थि को घिसने का कारण बन सकता है, जिससे ऑस्टियोआर्थ्राइटिस विकसित हो सकता है(gathiya kaise hota hai)।
अत्यधिक वजन जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, विशेषकर घुटनों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी पर। यह उपास्थि के घिसने और ऑस्टियोआर्थ्राइटिस के जोखिम को बढ़ा सकता है।
अस्वास्थ्यकर आहार जिसमें प्रोसेस्ड फूड्स, अत्यधिक शुगर, और ट्रांस फैट शामिल हैं, सूजन को बढ़ा सकते हैं। सूजन गठिया के लक्षणों को बदतर बना सकती है।
धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन गठिया रोग(gathiya rog) के जोखिम को बढ़ा सकता है। धूम्रपान प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और रूमेटोइड आर्थ्राइटिस के विकास में योगदान कर सकता है।
गठिया का विकास हार्मोनल असंतुलन से भी प्रभावित हो सकता है। महिलाओं में रूमेटोइड आर्थ्राइटिस अधिक आम है, जो यह संकेत करता है कि हार्मोनल परिवर्तन, जैसे गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति, गठिया रोग के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।
पर्यावरणीय प्रदूषक और विषैले पदार्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं और गठिया के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए, सिगरेट के धुएं में मौजूद विषैले पदार्थ रूमेटोइड आर्थ्राइटिस के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
संक्रमण से होने वाले प्रदूषण भी गठिया के विकास में भूमिका निभा सकते हैं। संक्रमित पानी या भोजन से फैलने वाले बैक्टीरिया और वायरस गठिया बाय(gathiya bai) के विभिन्न प्रकारों का कारण बन सकते हैं।
गठिया रोग का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है। ऑस्टियोआर्थ्राइटिस मुख्यतः वृद्धावस्था में होता है, क्योंकि उम्र के साथ उपास्थि की मोटाई कम होती है और जोड़ों में सामान्य क्षति बढ़ती है।
कुछ प्रकार के गठिया महिलाओं में अधिक आम होते हैं, जैसे रूमेटोइड आर्थ्राइटिस, जबकि गाउट पुरुषों में अधिक पाया जाता है। यह हार्मोनल और आनुवांशिक कारकों के कारण हो सकता है।
फेलिक्स हॉस्पिटल में अनुभवी ऑर्थोपेडिक्स और रुमेटोलॉजिस्ट उपलब्ध हैं। हम आपके गठिया से संबंधित सभी सवालों का जवाब देने में सक्षम हैं। अधिक जानकारी के लिए हमें +91 9667064100 पर कॉल करें।
गठिया रोग एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है और इससे जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।हालांकि गठिया रोग का कोई निश्चित इलाज(gathiya rog ka ilaj) नहीं है, परंतु इससे बचने और इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के कई उपाय हैं मुख्य रूप से ज्यादा परेशानी घुटनो में गठिया हो जाए तो होने लगती है क्योकि शरीर का भार उठाना व शरीर को चलाना दोनों का काम घुटने ही करते है इसलिए यह जानना ज़रूरी है की हम कैसे घुटने में गठिया होने से बचाए |
गठिया से बचाव के लिए एंटी-इन्फ्लेमेटरी आहार को अपनाना महत्वपूर्ण है।
फ्रूट्स और वेजिटेबल्स: विभिन्न रंगों के फल और सब्जियों का सेवन करें, जैसे बेरीज़, साग, और गाजर।
ओमेगा-3 फैटी एसिड: यह सूजन को कम करने में मदद करता है। इसे मछली (जैसे सैल्मन, मैकेरल), अखरोट, और चिया बीज से प्राप्त किया जा सकता है।
विटामिन डी और कैल्शियम: हड्डियों की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण हैं। डेयरी उत्पाद, सोया दूध, और गहरे हरे पत्तेदार सब्जियां अच्छे स्रोत हैं।
अदरक और हल्दी: इनमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गठिया रोग के लक्षणों(gathiya ke lakshan) को कम कर सकते हैं।
कुछ खाद्य पदार्थ सूजन को बढ़ा सकते हैं और गठिया के लक्षणों को बदतर बना सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
प्रोसेस्ड फूड्स: इनमें ट्रांस फैट और उच्च फ्रक्टोज कॉर्न सिरप होता है, जो सूजन को बढ़ा सकते हैं।
अत्यधिक शुगर: चीनी का अधिक सेवन सूजन को बढ़ा सकता है।
रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स: सफेद ब्रेड, पेस्ट्री, और अन्य रिफाइंड अनाज से बचें।
नियमित व्यायाम गठिया की बीमारी(gathiya bimari) से बचाव और इसके लक्षणों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यायाम से जोड़ों की गतिशीलता और मांसपेशियों की मजबूती बनी रहती है।
एरोबिक व्यायाम: जैसे चलना, तैरना, और साइक्लिंग। ये हृदय स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देते हैं।
मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम: जैसे वजन उठाना और योग। ये मांसपेशियों की ताकत बढ़ाते हैं और जोड़ों पर दबाव कम करते हैं।
फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज: स्ट्रेचिंग और योग जोड़ों की गतिशीलता को बढ़ाते हैं।
योगा करना चाहिए
व्यायाम करते समय सही तकनीक और तरीकों का पालन करना आवश्यक है ताकि चोट से बचा जा सके। इसके लिए एक पेशेवर ट्रेनर की सलाह लेना ज़रूरी है साथ ही ये जानना ज़रूरी ही की गठिया के लिए योग कौन कौन से हो सकते है।
अत्यधिक वजन जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे गठिया रोग(gathiya rog) का खतरा बढ़ सकता है।
संतुलित आहार के लिए कैलोरी संतुलन और पोषक तत्वों की पर्याप्तता पर ध्यान दें।
नियमित व्यायाम शारीरिक गतिविधियां वजन नियंत्रण में सहायक होती है।
हाइड्रेशन: यानी पर्याप्त पानी पिएं, क्योंकि यह मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देता है और भूख को नियंत्रित करता है।
तनाव गठिया के लक्षणों(gathiya ke lakshan) को बदतर बना सकता है। तनाव को प्रबंधित करने के लिए निम्न चीजों का ध्यान रखें।
मेडिटेशन: यह मन को शांत करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
योग: यह शारीरिक और मांसपेशिक लचीलापन बढ़ाता है।
अच्छी नींद: प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लेने का प्रयास करें।
धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन गठिया रोग के विकास में योगदान कर सकते हैं। इन आदतों से बचकर आप अपने जोड़ों और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
गठिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानना और उचित समय पर इलाज(gathiya rog ka ilaaj) करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए:
नियमित चिकित्सकीय जांच: नियमित रूप से डॉक्टर से मिलें और आवश्यक परीक्षण करवाएं।
स्वयं निगरानी: अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें और किसी भी असामान्य लक्षण पर डॉक्टर से परामर्श करें।
असुविधाजनक जूते जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं। सही प्रकार के जूते पहनें जो आरामदायक और सपोर्टिव हों।
काम के दौरान सही मुद्रा बनाए रखें और एर्गोनॉमिक्स का ध्यान रखें। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं।
जोड़ों को ठंडे और आर्द्र वातावरण से बचाने का प्रयास करें। ठंड में जोड़ों की सुरक्षा के लिए गर्म कपड़े पहनें और हाथों व पैरों को अच्छी तरह ढंकें।
गठिया रोग का कोई पूर्ण इलाज(gathiya rog ka ilaj) नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कई उपचार विकल्प हैं।
एनाल्जेसिक्स: दर्द निवारक दवाएं जैसे पेरासिटामोल।
एनएसएआईडीएस (NSAIDs): सूजन और दर्द को कम करने के लिए, जैसे इबुप्रोफेन।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: सूजन को कम करने के लिए।
डीएमएआरडीएस (DMARDs): रोग की प्रगति को धीमा करने के लिए, विशेषकर रूमेटोइड आर्थ्राइटिस में।
व्यायाम: नियमित व्यायाम जोड़ों की गति को बनाए रखने और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।
फिजिकल थेरेपी: विशेष तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करके दर्द और सूजन को कम करना।
जॉइंट रिप्लेसमेंट: गंभीर मामलों में, हिप या घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की जा सकती है।
जॉइंट फ्यूजन: जोड़ों को स्थिर करने के लिए।
गठिया की बीमारी(gathiya bimari) को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं हो सकता है, लेकिन कुछ उपाय इसके खतरे को कम कर सकते हैं और लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं:
सक्रिय जीवनशैली: नियमित व्यायाम और सक्रिय रहना।
संतुलित आहार: स्वस्थ एवं संतुलित आहार जिसमें फलों, सब्जियों और सम्पूर्ण अनाज शामिल हों।
मॉडरेशन में कार्य: अत्यधिक श्रम से बचना और आराम करना।
नियमित चिकित्सकीय जांच: शुरुआती पहचान और उपचार के लिए नियमित जांच।
आप हमसे संपर्क करके गठिया संभंधित जानकारी प्राप्त कर सकते है | हमें कॉल करें +91 9667064100
गठिया रोग से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन जैसे उपाय बेहद महत्वपूर्ण हैं। गठिया के लक्षणों(gathiya ke lakshan) की पहचान कर समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेना भी आवश्यक है। इन उपायों को अपनाकर आप गठिया के जोखिम को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ, सक्रिय जीवन जी सकते हैं। सही जानकारी और सही कदम उठाने से गठिया रोग से बचा जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। गठिया एक जटिल और बहु-आयामी समस्या है जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। सही जानकारी, उपचार और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से इसके लक्षणों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को गठिया की बीमारी(gathiya bimari) के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें और उचित उपचार प्राप्त करें। सही कदम और समय पर हस्तक्षेप से आप एक सक्रिय और दर्द रहित जीवन जी सकते हैं।
सवाल : गठिया क्या है ?
जवाब: गठिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। यह एक सामान्य सा शब्द है जो 100 से अधिक विभिन्न प्रकार की जोड़ों की समस्याओं को संदर्भित करता है। इसके प्रमुख प्रकारों में ऑस्टियोआर्थ्राइटिस, रूमेटोइड आर्थ्राइटिस, गाउट और एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस शामिल हैं।
सवाल : गठिया के सामान्य लक्षण क्या हैं ?
जवाब: गठिया के सामान्य लक्षणों में जोड़ों में दर्द, सूजन, कठोरता, लालिमा, और गति की कमी शामिल हैं। सुबह के समय या एक लंबे समय तक बैठने के बाद जोड़ों में कठोरता महसूस होना भी एक आम लक्षण है।
सवाल : गठिया का मुख्य कारण क्या है ?
जवाब: गठिया के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें आनुवांशिक कारक, प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी, शारीरिक चोटें, अत्यधिक वजन, संक्रमण और जीवनशैली संबंधी कारक शामिल हैं। हर प्रकार के गठिया का कारण अलग हो सकता है।
सवाल : गठिया का निदान कैसे किया जाता है ?
जवाब: गठिया का निदान चिकित्सकीय इतिहास, शारीरिक परीक्षण, रक्त परीक्षण, और इमेजिंग तकनीक जैसे एक्स-रे, एमआरआई, और अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है। डॉक्टर आपके लक्षणों और जोड़ों की स्थिति की जांच करके सही निदान करते हैं।
सवाल : गठिया का इलाज कैसे किया जाता है ?
जवाब: एनएसएआईडीएस (NSAIDs), कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, और डीएमएआरडीएस (DMARDs) जैसी दवाओं का उपयोग। नियमित व्यायाम, योग, और फिजिकल थेरेपी, स्वस्थ आहार, वजन प्रबंधन और तनाव प्रबंधन आदि द्वारा इलाज कैसे किया जा सकता है। गंभीर मामलों में जोड़ों की रिप्लेसमेंट सर्जरी से गठिया का इलाज होता है।
सवाल : क्या गठिया को रोका जा सकता है ?
जवाब: गठिया को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं हो सकता है, लेकिन इसके जोखिम को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे नियमित व्यायाम और सक्रिय रहना। स्वस्थ आहार जिसमें फलों, सब्जियों, और सम्पूर्ण अनाज शामिल किया हों। स्वस्थ वजन बनाए रखना जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव को कम करता है। शुरुआती पहचान और उपचार के लिए नियमित जांच से इसे रोका जा सकता है।
सवाल: क्या गठिया केवल बुजुर्गों को प्रभावित करता है ?
जवाब: नहीं, गठिया किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, ऑस्टियोआर्थ्राइटिस मुख्यतः वृद्धावस्था में होता है, लेकिन रूमेटोइड आर्थ्राइटिस और अन्य प्रकार के गठिया युवाओं और बच्चों में भी हो सकते हैं।
सवाल: गठिया से पीड़ित होने पर क्या खाना चाहिए(Gathiya me kya khana chahiye)?
जवाब: गठिया से पीड़ित लोगों को एंटी-इन्फ्लेमेटरी आहार अपनाना चाहिए, जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे मछली, अलसी के बीज और अखरोट शामिल हों। ताजे फल, सब्जियां, सम्पूर्ण अनाज और स्वस्थ वसा का सेवन बढ़ाएं। प्रोसेस्ड फूड्स, अत्यधिक शुगर, और ट्रांस फैट से बचें।