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बड़े हों या बच्चे आजकल ज्यादातर लोग गैस की समस्याज यानी गैस्ट्रिक प्रॉब्लम (Gastric Problem) से परेशान हैं। वह लाइफस्टाइल के चलते इस समस्या से जूझ रहे हैं। सुनने में गैस की समस्या कोई बड़ी नहीं लगती है, लेकिन जो इसे झेलता है वही इससे होने वाली परेशानियों को जान सकता है। कई बार छोटे बच्चों को भी गैस की समस्या होने लगती है। ऐसी स्थिति में वह बहुत रोते हैं। पेट में गैस बनने की बड़ी वजह खान-पान में गड़बड़ी और पेट की समस्याएं हैं। यदि आपको गैस की समस्या है और उससे अधिक परेशान हैं तो आइये फेलिक्स हॉस्पिटल के साथ इसके कारण जानते है | इसका कारण है आजकल की लाइफ स्टाइल में अनहेल्दी खाना और बहुत कम फिजिकल एक्टिविटी। यही कारण है कि लोग गैस की समस्या से परेशान रहते हैं। कुछ लोग सोने से पहले गैस की समस्या से परेशान हो जाते हैं। गैस और पेट में भारीपन की वजह से कई बार नींद भी नहीं आती। लोगों को अधिकतर रात में खाना खाने के बाद गैस बनती है।
हम बताते हैं गैस बनने की वजह और इसका उपाय। गैस की समस्या होने पर अक्सर लोग रात में सोते समय बेचैनी महसूस करते हैं। ठीक से नींद नहीं आती और पेट फूलने लगता है। दरअसल यह समस्या पेट में होने वाली गैस की वजह से होती है। कुछ लोग गैस की समस्या को साधारण समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कई बार यह समस्या काफी गंभीर हो जाती है। जब गैस पास नहीं होती है तो, नींद नहीं आएगी, साथ ही पेट में दर्द होगा। कुछ खाने का मन नहीं करेगा। पेट में जलन होगी। अक्सर देखा गया है कि गैस की समस्या लोगों को रात में खाना खाने के बाद सोते समय होती है। शरीर में गैस बनना सामान्य बात है। पेट की सूजन गैस्ट्रिटिस (stomach inflammation gastritis in Hindi) के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि खाना पचाने वाले स्वस्थ वैक्टीरिया हमारे शरीर में पूरे दिन गैस बनाते हैं। जिसमें से कुछ गैस बैक्टीरिया अवशोषित कर लेेते हैं। वहीं कुछ शरीर रिलीज कर देता है। खाना पचाने के समय पेट में तेजी से गैस बनती है। अगर आपने कुछ हैवी खाना खाया है, जिसे पचाने में समय लगता है। इससे गैस ज्यादा बनेगी। यदि आप रात में ज्यादा खाना खाते हैं तो भी आपको गैस की समस्या हो सकती है।
फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपकी सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे गैस्ट्रोलॉजिस्ट के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
गैस्ट्राइटिस पेट से जुड़ी एक सामान्य समस्या है। इस समस्या में पेट की परत में सूजन और जलन होने लगती है। गैस्ट्राइटिस की समस्या पेट में अल्सर पैदा करने वाले बैक्टीरिया से ही होती है। कुछ मामलों में गैस्ट्राइटिस के कारण पेट का अल्सर और कैंसर का भी खतरा रहता है। यह दो तरह की होती है - एक्यूट गैस्ट्राइटिस और क्रोनिक गैस्ट्राइटिस। एक्यूट गैस्ट्राइटिस अचानक होती है, जबकि क्रोनिक गैस्ट्राइटिस समय के साथ धीरे-धीरे दिखाई देती है। गैस्ट्राइटिस की समस्या को समय रहते इलाज करना बहुत जरूरी होता है, अन्यथा समस्या भी बढ़ सकती है। कुछ लोगों में जिनमें इसके लक्षण दिखाई नही देते हैं उनमें पेट के ऊपरी हिस्से में बेचैनी और दर्द की शिकायत होती है। सूजन, अपच, भूख लगना लेकिन भोजन से पहले पेट भरा हुआ महसूस होना, मतली और उल्टी आदि गैस्ट्राइटिस पेन के मुख्य लक्षण हैं। गैस्ट्रिक पेन आमतौर पर तेजी से भोजन गटकने, अधिक मात्रा में कार्बोनेटेड पेय पदार्थ पीने और ऑयली जंक फूड खाने के कारण होता है। इसके कारण अपच की समस्या होने लगती है।
गैस्ट्रिक समस्याएं तब आ सकती हैं जब आपको इनकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं होती। मान लीजिए कि आप यात्रा कर रहे हैं, जंक फूड खा रहे हैं और जल्द ही आपको गैस्ट्रिक समस्या का अनुभव होता है। आपको यह शर्मनाक लग सकता है, लेकिन आपके पाचन तंत्र में गैस बनना पूरी तरह से सामान्य है। आप या तो डकार ले सकते हैं या गैस निकाल सकते हैं (फ्लैटस)। हालाँकि, कुछ स्थितियों में यह अनुचित लग सकता है, फिर भी यह पूरी तरह से सामान्य है। कभी-कभी गैस फंस सकती है या पाचन तंत्र से ठीक से नहीं गुजर सकती। भोजन की मात्रा बढ़ाने या खाने की आदतों में बदलाव से गैस्ट्रिक समस्याएं हो सकती हैं।
कई बार हम बहुत जल्दी-जल्दी और ज्यादा खा लेते हैं जिससे पेट में गैस बनने लगती है। कई बार लोग ज्यादा चबाकर खाना नहीं खाते हैं तो पेट में गैस होने लगती है। गैस की समस्या से बचने के लिए आप खाना चबाकर खाएं और ज्यादा खाने से बचें।
पेट में गैस (gas) मुख्य रूप से खाने या पीते समय हवा निगलने के कारण होती है। डकार आने पर पेट की अधिकांश गैस निकलती है। आपकी बड़ी आंत में गैस तब बनती है, जब बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कुछ स्टार्च और कुछ शुगर को किण्वित करते हैं, जो आपकी छोटी आंत में पच नहीं पाते हैं। उस गैस का कुछ हिस्सा बैक्टीरिया भी खा लेते हैं, लेकिन जब आप अपने गुदा से गैस निकालते हैं तो बैक्टीरियों से बची हुई गैस निकलती है।
कब्ज और जी.ई.आर.डी. के कारण - (Constipation and GERD):
कब्ज और जीईआरडी की परेशानी होने पर पेट में गैस की परेशानी हो सकती है। इसलिए मुख्य रूप से ये जानना ज़रूरी है कि क्या है गैस्ट्राइटिस (what is gastric problem in hindi)| गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज की समस्या तब होती है, जब पेट में बार-बार एसिडिटी (acidity) बनने लगता है। इस परेशानी में पेट का एसिड बार-बार मुंह और पेट को जोड़ने वाली नली में वापस आने लगता है। एसिड रिफ्लक्स अन्न-प्रणाली के अस्तर को परेशान कर सकता है। इस परेशानी से जूझ रहे मरीजों को तुरंत अपने एक्सपर्ट की सलाह लेने की जरूरत होती है।
इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम - (Irritable bowel syndrome):
पेट में बार-बार गैस बनने का कारण इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम होता है। यह छोटी आंत में बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसकी वजह से गैस बनने लगती है। इसके कारण छोटी आंतों में बैक्टीरिया ज्यादा बढ़ने लगता है। इस स्थिति से जूझ रहे लोगों के न सिर्फ पेट में गैस बनती है, बल्कि इसकी वजह से बेचैनी, पेट में दर्द, पेट फूलना जैसी परेशानी भी हो सकती हैं। गैस्ट्रिक प्रॉब्लम काफी आम शब्द लगता है लेकिन अगर देखे तो ये अपने में ही व्यापक है |
पेट में पथरी होना ( Stone Problems):
पेट में बार-बार गैस की परेशानी होने के पीछे पथरी भी हो सकती है। पथरी में पेट में न सिर्फ दर्द महसूस होता है, बल्कि गैस भी काफी ज्यादा बनने लगती है। ऐसी स्थिति में आपको अपना अल्ट्रासाउंड कराने की जरूरत होती है, ताकि आपकी पथरी पेट के किस हिस्स में इसका पता चल सके। पेट में पथरी गॉलब्लैडर, किडनी और यूरिन मार्ग में हो सकती है। ऐसे में आपको समय पर इलाज की जरूरत हो सकती है। यह भी एक मुख्य कारणों (Causes of Gas in Hindi) में से एक है |
हाई कार्बोहाइड्रेट डाइट का सेवन: (Consumption of high carbohydrate diet):
हमारा खाना सबसे पहले हमारे पेट से जुड़ा हुआ है। इसलिए हम जो भी खाते हैं, उसका रिएक्शन शुरू हो जाता है। ऐसे में हाई कार्बोहाइड्रेट वाले फूड्स का सेवन कई बार नुकसानदेह हो सकता है। दरअसल, जब कार्ब्स प्रभावी रूप से नहीं टूटते हैं, तो वे पेट या कोलन में अपच का कारण बनते हैं। फिर आंत के बैक्टीरिया इसको फर्मेन्ट करने लगते हैं, ये गैस बनाते है और पेट फूलने का कारण बनते है। ऐसे में ध्यान रखें कि जैसे कि ओट्स, केला, शकरकंद, संतरा और रोटी जैसे फूड्स सेवन करते समय ध्यान रखें कि इन्हें आराम से पहले चबा-चबा कर खाएं। साथ ही आपको हाई कार्बोहाइड्रेट डाइट लेने के बाद एक्सरसाइज और शरीरिक गतिविधां करनी चाहिए।
हाई फ्रुक्टोज फूड्स खाना (High fructose foods):
हाई फ्रुक्टोज फूड्स (High fructose foods) भी एक मुख्य कारणों (Causes of Gas in Hindi) में से एक है जैसे कि फ्रुक्टोज आमतौर पर छोटी आंत में अवशोषित होता है, लेकिन अधिक मात्रा में फ्रुक्टोज का सेवन शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। जहां बैक्टीरिया फ्रुक्टोज को फर्मेटेंट या फर्मेन्ट करते हैं। इससे हाइड्रोजन और मीथेन गैसें निकलती हैं, जो दर्द, सूजन, पेट फूलना और दस्त का कारण बनती हैं। ऐसा कुछ सेब, अंगूर, तरबूज जैसे फलों को खाने से भी होता है। इसके अलावा कई मीठे चीजों का सेवन भी शरीर के लिए नुकसानदेह है।
प्रसंस्कृत या प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन (Processed foods):
प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन गैस बनाने का कारण बन सकता है। गैस्ट्राइटिस के लक्षणों (Symptoms of Gas in Hindi) के साथ साथ हमे कारणों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये। जिससे हम उसकी रोकथाम कर सकें | प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जैसे कि पैकेज्ड वाले फूड जैसे ब्रेड, स्नैक फूड, अनाज और चॉकलेट सभी शरीर में गैस बनने का कारण बनते हैं। इनमें फ्रुक्टोज और लैक्टोज सहित कई तरह के तत्व होते हैं। इस संयोजन से गैस की बढ़ोत्तरी हो सकती है। पाचन तंत्र में समस्याएं पैदा कर सकती है और कई लाइफस्टाइल वाली बीमारियों जैसे कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती है। इसके अलावा इन्हें बहुत अधिक या बहुत जल्दी खाने से भी सिस्टम ओवरलोड हो सकता है और बैक्टीरिया को अधिक भोजन पहुंचा सकता है, जो गैस उत्पन्न करता है। यह स्थति गैस और सूजन पैदा करके असहज कर सकती है। इस लिए कारण व लक्षणों (symptoms of gastric problem in hindi) को जानना आवश्यक है |
दही-दूध वाले लैक्टोज वाले फूड्स-(lactose containing foods):
लैक्टोज असहिष्णुता (lactose intolerance) वाले लोगों को दूध से बनी किसी भी चीज से दिक्कत होती है। दरअसल, दूध में पाए जाने वाला प्रोटीन और शुगर कई बार शरीर पूरी तरह से पचा नहीं पाता है। नतीजतन, उन्हें डेयरी उत्पाद खाने या पीने के बाद दस्त, गैस और सूजन होती है। इसमें लैक्टोज नहीं पच पाता है और इसके लक्षण शरीर को असहज करने लगते हैं। ऐसे में आपको पहले ये देखना चाहिए कि दूध, पनीर और आईस क्रीम को खाने के बाद गैस की समस्या होती है, तो इसे खाने से बचें। पेट की सूजन गैस्ट्रिटिस अगर ज्यादा हो और आप नॉएडा में रहते है तो नोएडा में बेस्ट गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट अस्पताल - फ़ेलिक्स अस्पताल से संपर्क करे |
कार्बोनेडेट ड्रिंक्स का सेवन- (Carbonated beverages)
कार्बोनेटेड ड्रिंक में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड होती है, जो आपके पेट में शरीर के तापमान पर गर्म होने पर गैस बन जाती है। कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से बार-बार डकार आ सकती है क्योंकि आपका पेट कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण फैलता है। इसके अलावा इन ड्रिंक्स में शुगर की मात्रा भी ज्यादा होती है जो कि गैस का कारण बन सकती है और शरीर में सूजन भी पैदा कर सकती है। इसलिए कोशिश करें कि कार्बोनेडेट ड्रिंक्स का सेवन कम करें।
स्मोकिंग करना-(Smoking):
स्मोकिंग करना शरीर के लिए कई प्रकार से नुकसानदेह हो सकता है। सिगरेट पीने से फेफड़े और श्वसन तंत्र ही नहीं पूरे शरीर पर असर पड़ता है। जब धुआं शरीर में जाता है, तो वह पेट और आंतों में भी जाता है। तम्बाकू पाचन तंत्र के लिए एक अड़चन है जो सूजन, ऐंठन, गैस और पेट में गड़गड़ाहट का कारण बन सकता है। इसके अलावा ये डाइजेस्टिव जूस का भी नुकसान करता है जिसके कारण खाना आसानी से नहीं पचता और पेट में लंबे समय के लिए गैस की समस्या रहती है।
अघुलनशील फाइबर का ज्यादा सेवन (Diet containing insoluble fibers):
अघुलनशील फाइबर पानी में नहीं घुलता है और इसलिए कोलन बैक्टीरिया द्वारा सही से नहीं पच पाता है। गैस्ट्राइटिस के लक्षणों (Symptoms of Gas in Hindi) के साथ साथ हमे कारणों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये जिससे हम उसकी रोकथाम कर सके | ऐसे में फूड्स का सही से ना पच पाना गैस का कारण बनता है। जैसे कि बीन्स, पत्तोगोभी, ब्रोकली और दालों का सेवन गैस पैदा करता है। इसके अलावा लंबे समय के लिए इसका ना पच पाना शरीर के लिए कई अन्य परेशानियों का कारण भी बन सकता है। जैसे तेज पेट दर्द इसलिए अघुलनशील फाइबर का ज्यादा सेवन करने से बचें।
बहुत तेजी से खाने या पीने से- (Excess ingestion of air):
बहुत तेजी से खाने या पीने से एरोगैफिया (aerografia) की समस्या हो सकती है। इसमें हवा का अधिक निगल लेना गैस का कारण बन सकता है। इससे शरीर में सूजन हो सकती है। साथ ही ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। यह आमतौर पर तेजी से खाने या पीने, च्युइंग गम चबाने, धूम्रपान करने के कारण होता है। इसलिए मुख्य रूप से ये जानना ज़रूरी है कि क्या है गैस्ट्राइटिस | इसके अलावा बेल्चिंग वह तरीका है जिससे सबसे अधिक निगली जाने वाली हवा पेट से निकलती है। शेष गैस आंशिक रूप से छोटी आंत में अवशोषित हो जाती है और थोड़ी मात्रा बड़ी आंत में चली जाती है और मलाशय के माध्यम से निकल जाती है।
भूख नहीं लगना (loss of appetite)
सांस बदबूदार आना (bad breath)
पेट में सूजन रहना (swelling in stomach)
उलटी, बदहज़मी और दस्त (vomiting, indigestion and diarrhea)
पेट फूलना (Abdominal distension)
फेलिक्स हॉस्पिटल आपकी सहायता के लिए तैयार है। आज ही हमसे संपर्क करें और हमारी सेवाओं के बारे में अधिक जानें और देखें कि हम आपकी सर्वोत्तम देखभाल कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं। हम आपके परिवार के स्वास्थ्य सफ़र में हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। अभी फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करें और हमारे गैस्ट्रोलॉजिस्ट के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
गैस्ट्राइटिस से निपटने के लिए कई दवाइयां उपलब्ध हैं। ये दवाइयां एसिड को बनाना बंद कर देती हैं। इससे पेट की परत काफ़ी हद तक ठीक हो जाती है। हिस्टामिन ब्लॉकर भी एसिड को कम करने में मदद करते हैं। लिक्विड एंटासिड अंदर के बने एसिड को न्यूट्रलाइज करते हैं। इसके बाद भी समस्या ठीक नहीं होती तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। गैस्ट्राइटिस का इलाज अगर सही समय पर न किया जाए तो अल्सर, यहां तक कि कैंसर तक हो सकता है। इसलिए अगर बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं तो केवल एसिडिटी की दवा न लें, डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं। हल्की गैस के उपचार में जरूरी है कि नारियल पानी का सेवन करें। भोजन करने से पहले ताज़ा अदरक के रस का सेवन करें। असुविधा महसूस होने पर गर्म पानी से सिकाई करें। अजवाइन का सेवन करें। दही, छाछ आदि के रूप में अधिक प्रोबायोटिक्स लें। जूस और अन्य तरल पदार्थ अधिक लें। इसके अलावा, एंटीबॉडी की जांच के लिए रक्त परीक्षण भी किया जाता है जो गैस्ट्राइटिस का कारण बन सकता है। वहीं ब्रीद टेस्ट: सांस परीक्षण में कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि गैस्ट्रिक समस्याओं का संकेत दे सकती है। जबकि स्टूल टेस्ट: जैसा कि ऊपर बताया गया है, स्टूल के रंग की जांच की जाती है, और रक्त कणों की उपस्थिति गैस्ट्राइटिस का संकेत हो सकती है।
गैस्ट्राइटिस की उचित देखभाल करना महत्वपूर्ण है, और इसे दूर करने के लिए दी गयी सलाहों का पालन किया जाना चाहिए, क्योंकि गैस्ट्राइटिस एक गंभीर स्थिति नहीं है और उचित दवा के साथ इसका इलाज किया जा सकता है। हालांकि, क्रोनिक एंट्रल गैस्ट्राइटिस को रक्त परीक्षण, स्टूल परीक्षण और कई अन्य तरीकों से निदान करके नियंत्रित किया जाना चाहिए। और भोजन की मद्द से एसिड रिफ्लक्स को नियंत्रित करना चाहिए और बलगम या श्लेष्म की परत को स्वस्थ बनाए रखना चाहिए।
यदि आप नोएडा में सर्वश्रेष्ठ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की तलाश में हैं, तो सेक्टर 137 नोएडा में फेलिक्स अस्पताल पर जाएँ या +(91)9667064100 पर कॉल करें।
1) गैस्ट्रिक क्या होता है (gastric problem in hindi)?
गैस्ट्रिक पाचन तंत्र से जुडी एक समस्या है जिसमें पेट में गैस बनने और अनुचित पाचन कार्य की समस्या होती है|
2) गैस्ट्रिक के क्या कारण होते हैं?
गैस्ट्रिक के कारण में अधिक खाने की वजह से पेट में अधिक गैस बनना, खराब भोजन, अनियमित भोजन, खाने में गलती, तनाव, और गैस्ट्राइटिस जैसी समस्याएं शामिल हो सकती हैं।
3) गैस्ट्रिक के क्या लक्षण होते हैं?
गैस्ट्रिक के लक्षण में पेट में गैस, पेट में दर्द और असहज स्थिति की भावना, बदहजमी, अपचन, और पेट में भारीपन शामिल हो सकते हैं।
4) गैस्ट्रिक का निदान कैसे होता है?
गैस्ट्रिक का निदान प्राथमिक रूप से रोगी के लक्षणों और आरंभिक जांच के आधार पर किया जाता है, जिसमें पेट का परीक्षण, रोगी का चिकित्सा इतिहास, और लैब टेस्ट शामिल हो सकते हैं।
5) गैस्ट्रिक का उपचार क्या होता है?
गैस्ट्रिक के उपचार में अनुचित खानपान से बचाव, दवाइयाँ, पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय, और योगासन शामिल हो सकते हैं।
6) गैस्ट्रिक से बचाव के उपाय क्या हैं?
गैस्ट्रिक से बचाव के उपाय में समय पर खाना, सही खानपान, अधिक पानी पीना, और तनाव का प्रबंधन शामिल हो सकता है।
7) गैस्ट्रिक के लिए कौन-कौन से टेस्ट होते हैं?
गैस्ट्रिक के लिए पेट का परीक्षण, उपांत परीक्षण, गैस्ट्रोस्कोपी, और ब्लड टेस्ट जैसे टेस्ट किए जा सकते हैं।