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फेफड़े का कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो फेफड़ों में शुरू होता है। यह तब होता है जब फेफड़ों में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं। जो लोग धूम्रपान छोड़ चुके हैं, उनमें भी फेफड़ों के कैंसर का जोखिम अधिक होता है, हालांकि यह जोखिम समय के साथ कम हो सकता है। जिन लोगों को फेफड़ों की पुरानी बीमारियां, जैसे क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस या एम्फिसेमा, होती हैं, उन्हें भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है तो वह नोएडा के कैंसर हॉस्पिटल Cancer Hospital in Noida में जांच के लिए आ सकते है। जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार से।
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Table of Contents
फेफड़े का कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो फेफड़ों की कोशिकाओं में उत्पन्न होता है। यह तब होता है जब फेफड़ों की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं, जिससे एक ट्यूमर बनता है। यह कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। फेफड़े का कैंसर का उपचार का कैंसर के प्रकार, उसके फैलाव, और रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है।
फेफड़े के कैंसर के शुरुआती लक्षण:
प्रत्येक प्रकार का कैंसर अलग-अलग तरीके से बढ़ता और फैलता है, और इसका इलाज भी अलग-अलग हो सकता है। इसलिए, सही प्रकार का पता लगाने और उचित उपचार योजना बनाने के लिए सही निदान बहुत महत्वपूर्ण है। फेफड़े का कैंसर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, जिन्हें उनके कोशिका प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:
यह कैंसर तेजी से बढ़ता है और फैलता है। यह आमतौर पर धूम्रपान करने वालों में पाया जाता है। यह कैंसर तेजी से बढ़ता है और फैलता है। यह अधिकतर धूम्रपान करने वालों में पाया जाता है। लघु-कोशिका कार्सिनोमा यह सबसे सामान्य उपप्रकार है। संयुक्त लघु-कोशिका कार्सिनोमा में एससीएलसी के साथ अन्य प्रकार की कोशिकाएं भी शामिल होती हैं।
गैर-लघु-कोशिका फेफड़ा कैंसर फेफड़े का सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है, जो सभी फेफड़े के कैंसर मामलों का लगभग 85% है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और फैलता है। यह फेफड़े के कैंसर का अधिक सामान्य प्रकार है और इसमें कई उपप्रकार शामिल होते हैं। मसलन स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा यह फेफड़ों की आंतरिक परत में उत्पन्न होता है और धूम्रपान से जुड़ा होता है। एडेनोकार्सिनोमा यह आमतौर पर फेफड़ों के बाहरी हिस्से में उत्पन्न होता है और धूम्रपान न करने वालों में भी पाया जा सकता है। लार्ज सेल कार्सिनोमा यह किसी भी हिस्से में उत्पन्न हो सकता है और तेजी से बढ़ता है। एडेनोसक्वैमस कार्सिनोमा में एडेनोकार्सिनोमा और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा दोनों के गुण होते हैं। लार्ज सेल न्यूरोएंडोक्राइन कार्सिनोमा यह दुर्लभ और आक्रामक उपप्रकार है।
यह फेफड़ों में उत्पन्न होने वाला एक दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर है जो धीमी गति से बढ़ता है।
यह फेफड़ों के बाहर की परत में उत्पन्न होने वाला एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है और आमतौर पर एस्बेस्टस के संपर्क में आने से होता है।
धूम्रपान फेफड़े के कैंसर का सबसे बड़ा जोखिम कारक है। सिगरेट, सिगार, और पाइप का धूम्रपान करने वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है। तम्बाकू में कई हानिकारक रसायन होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। धूम्रपान न करने वालों के लिए भी धूम्रपान करने वालों के धुएं के संपर्क में आने से फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
रेडॉन एक प्राकृतिक रेडियोधर्मी गैस है जो यूरेनियम के विघटन से उत्पन्न होती है। यह मिट्टी और चट्टानों में पाई जाती है और घरों में भी प्रवेश कर सकती है। रेडॉन गैस के उच्च स्तर के संपर्क में आने से फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
एस्बेस्टस एक प्रमुख कार्सिनोजेन है और इसके संपर्क में आने से फेफड़े के कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। आर्सेनिक, क्रोमियम, निकल, और अन्य औद्योगिक रसायनों के संपर्क में आने से भी जोखिम बढ़ सकता है।
वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं और कणों का लंबे समय तक संपर्क फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकता है। कुछ घरेलू गतिविधियों और धूम्रपान से उत्पन्न धुएं का संपर्क भी जोखिम को बढ़ा सकता है।
अगर किसी के परिवार में फेफड़े के कैंसर का इतिहास है, तो उस व्यक्ति में भी फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। कुछ आनुवांशिक उत्परिवर्तन भी फेफड़े के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
फेफड़ों की पुरानी सूजन भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है। इसके अलावा एम्फिसेमा जो एक प्रकार की फेफड़ों की बीमारी है जो फेफड़ों की संरचना को नुकसान पहुंचाती है और कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है।
अगर किसी ने पहले छाती के क्षेत्र में रेडियोथेरेपी ली है, तो उससे भी फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
कुछ वायरस संक्रमण, जैसे मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। लंबे समय तक फेफड़ों की सूजन भी कैंसर के विकास का कारण बन सकती है।
धूम्रपान छोड़ना फेफड़े के कैंसर से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। धूम्रपान छोड़ने के लिए मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाहा ले सकते हैं। वहींं नशा मुक्ति केंद्र में भी जाकर इलाज करा सकते हैं।
जहां तक संभव हो, धूम्रपान करने वालों के धुएं से दूर रहें। घर और कार्यस्थल को धूम्रपान-रहित बनाएं।
अपने घर में रेडॉन गैस का परीक्षण करवाएं। अगर रेडॉन स्तर उच्च है, तो विशेषज्ञ की मदद से रेडॉन को नियंत्रित करने के उपाय करें। घर में इस्तेमाल होने वाले रासायनों को सुरक्षित तरीके से स्टोर और उपयोग करें। कार्यस्थल पर रासायनिक पदार्थों के उपयोग के दौरान सुरक्षित कार्यप्रणालियों का पालन करें।
काम करते समय उचित सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें, विशेष रूप से एस्बेस्टस, आर्सेनिक, क्रोमियम, और निकेल जैसी हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने पर। जोखिम भरे उद्योगों में काम करने वाले लोगों को नियमित रूप से फेफड़े की जांच करवानी चाहिए।
अपने क्षेत्र की वायु गुणवत्ता की निगरानी करें। जब वायु प्रदूषण का स्तर अधिक हो, तो बाहर के गतिविधियों को सीमित करें और इनडोर एयर प्यूरिफायर का उपयोग करें।
पोषण युक्त आहार यानी कि फल, सब्जियों, और फाइबर से भरपूर आहार लें। नियमित व्यायाम से शारीरिक स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। शराब और अन्य नशीली पदार्थों से बचें या उनका सेवन सीमित करें। घर और कार्यस्थल को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखें।
फेफड़ों की पुरानी बीमारियों वाले लोगों को नियमित रूप से अपने डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए। डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाओं का सही उपयोग करें। नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं, विशेषकर अगर आप उच्च जोखिम वाले समूह में आते हैं। उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए लो-डोज सीटी स्कैन जैसी स्क्रीनिंग विधियाँ उपलब्ध है।
मुख्य रूप से यह निम्नलिखित इलाज लंग कैंसर (Treatments of Lung Cancer) के लिए किये जा सकते है :
फेफड़ों की सर्जरी कैंसर के इलाज में एक मुख्य उपचार है, खासतौर पर जब कैंसर सिर्फ फेफड़ों में स्थित होता है और उसका प्रसार अन्य अंगों तक नहीं हुआ है। फेफड़ों की सर्जरी कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे की लोबेक्टोमी में वह हिस्सा फेफड़े का निकाला जाता है जिसमें कैंसर का प्रमुख केंद्र होता है। प्लेटिनेक्टमी में पूरा एक फेफड़ा हटा दिया जाता है, जहां कैंसर अधिक स्थान पकड़ चुका हो। वेजेक्टोमी में एक छोटी सी सर्जरी होती है जिसमें केवल कैंसर के प्रभावित भाग को हटाया जाता है, फेफड़े के बाकी हिस्से को संरक्षित रखते हुए। स्टेरिओटैक्टिक बायोप्सी में एक प्रकार का माइनर सर्जरी होता है जिसमें छोटे से चोटे कैंसर प्रभावित क्षेत्रों को निशाना बनाकर उन्हें हटाया जाता है।
कीमोथेरेपी फेफड़े के कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसका उपयोग विभिन्न चरणों में किया जा सकता है। यह सर्जरी और रेडियोथेरेपी के साथ संयोजन में भी उपयोगी हो सकती है। सही कीमोथेरेपी योजना को निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, ताकि कैंसर के इलाज के साथ-साथ दुष्प्रभावों का भी सही तरीके से प्रबंधन किया जा सके।
रेडियोथेरेपी एक उपचार है जिसमें उच्च-ऊर्जा रेडिएशन बीम का उपयोग किया जाता है फेफड़े के कैंसर को नष्ट करने के लिए। यह उपचार कैंसर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने में मदद करता है और उन्हें मारता है। इस तरीके के उपचार में विशेषता से उपयुक्त उच्च-ऊर्जा रेडिएशन का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को विनाश के लिए समर्थन प्रदान किया जाता है।
लक्षित चिकित्सा एक प्रकार की चिकित्सा है जो विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए विशेष धाराओं या लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करती है। यह चिकित्सा कैंसर कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न किए गए विशिष्ट मोलेक्यूलर परिवर्तनों का उपयोग करती है जो अन्य कोशिकाओं से भिन्न होते हैं।
इम्यूनोथेरेपी एक चिकित्सा प्रणाली है जो शरीर के इम्यून सिस्टम का उपयोग करती है कैंसर के खिलाफ लड़ाई में। इस उपचार का मुख्य उद्देश्य शरीर को कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ जागरूक करना होता है ताकि वह स्वयं ही कैंसर को नष्ट कर सके।
दवाएं उन मारकर्स को निषेधित करती हैं जो कैंसर कोशिकाओं को अपने आप को शरीर के इम्यून सिस्टम से छिपाने में मदद करते हैं। इस प्रकार की इम्यूनोथेरेपी का उपयोग अक्सर विशिष्ट कैंसरों जैसे कि मेलेनोमा और नैसोकार्सिनोमा में किया जाता है कार टी-सेल थेरेपी में रोगी के खून से लिया गया टी-सेल लैब में परिवर्तित किया जाता है जिसका उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
क्लिनिकल ट्रायल्स वैज्ञानिक अध्ययन होते हैं जो नई दवाओं, उपचार या चिकित्सा प्रणालियों के प्रभाव, सुरक्षा और प्रभावीता को जांचने के लिए किए जाते हैं। ये अध्ययन चिकित्सा और वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इनसे नए उपचारों की प्रमाणित सुरक्षा और प्रभावीता का पता चलता है।
पैलिएटिव केयर एक चिकित्सा प्रक्रिया है जो गंभीर बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों के जीवन गुणवत्ता को सुधारने के लिए समर्पित है। इसका मुख्य लक्ष्य मरीज के दर्द और अन्य दुखों को कम करना, मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करना, और उनकी जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना होता है।
रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन एक प्रकार का चिकित्सा प्रक्रिया है जो कैंसर और अन्य अस्थायी रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में, उच्च-विकिरण धरों वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऊर्जा का उपयोग कर रोगी के शरीर में रेडिओफ्रीक्वेंसी वैविधिक (RF) ऊर्जा को प्रवेश कराया जाता है।
फोटोडायनामिक थेरेपी एक चिकित्सा प्रक्रिया है जो कैंसर और कुछ त्वचा संबंधी रोगों के इलाज में उपयोग होती है। इस प्रक्रिया में, विशेष रंग के द्रव्यों को रोगी के शरीर में उत्तेजित किया जाता है, जिससे वे रेडिएशन या उच्च-विकिरण प्रकार की ऊर्जा से प्रभावित होते हैं। यह रंग प्रकाश संचारक कहलाते हैं। जब इन द्रव्यों को प्रकाश की उर्जा से उत्तेजित किया जाता है, तो वे कैंसर कोशिकाओं में विशेष रूप से इकट्ठा होते हैं। इसके बाद, उच्च-विकिरण या रेडिएशन की मदद से इन कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
स्टेरियोटैक्टिक बॉडी रेडियोथेरेपी एक उच्च-विकिरण थेरेपी का एक प्रकार है जो कैंसर के इलाज में प्रयुक्त होता है। इस थेरेपी में, रेडिएशन या उच्च-विकिरण प्रकार की ऊर्जा को रोगी के शरीर में प्रवेश करने के लिए स्टेरियोटैक्टिक बॉडी फ्रेमवर्क (Stereotactic Body Frame) का उपयोग किया जाता है।
अगर जानकारी में किसी को फेफड़े से सम्बंधित बीमारी है तो डॉक्टर की सलाह के लिए आज ही फ़ोन करें - +91 9667064100.
फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर रोग है जो फेफड़ों के अंदर या उनके आसपास विभिन्न स्थानों पर विकसित हो सकता है। यह कैंसर अक्सर तंबाकू के सेवन, जैसे कि धूम्रपान और गुटखा, और वातावरणीय कारकों के लंबित होता है। इसमें फेफड़ों के कोशिकाओं में अनियमित विकास होता है, जिससे ये कोशिकाएं अनियंत्रित ढंग से बढ़ती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकती है अगर आपको ऐसे लक्षण का आभास हो रहा है तो नज़दीकी नोएडा के ऑन्कोलॉजिस्ट को ज़रूर दिखाए।
1.) प्रश्नः क्या फेफड़ों का कैंसर तंबाकू के सेवन से हो सकता है ?
उत्तरः हां तंबाकू के सेवन से फेफड़ों का कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। धूम्रपान, गुटखा और अन्य तंबाकू उत्पादों में मौजूद केमिकल्स फेफड़ों के कोशिकाओं के विकास में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
2.) प्रश्नः फेफड़ों के कैंसर के लक्षण क्या होते हैं ?
उत्तरः फेफड़ों के कैंसर के लक्षण में गहरी सांस लेने में दिक्कत, थकान, कमजोरी, गर्म या सूखी खांसी, छाती में दर्द, खूनी बलगम, और निम्न वायुश्वास शामिल हो सकते हैं।
3.) प्रश्नः फेफड़ों के कैंसर का निदान कैसे होता है ?
उत्तरः फेफड़ों के कैंसर का निदान प्रधानत: इमेजिंग टेस्ट्स (एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई) और बायोप्सी (कोशिका नमूना लेना) के माध्यम से होता है।
4.) प्रश्नः फेफड़ों के कैंसर के इलाज में कौन-कौन से विकल्प हो सकते हैं ?
उत्तरः फेफड़ों के कैंसर के इलाज में रेडिएशन थेरेपी, केमोथेरेपी, सर्जरी, रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए), फोटोडायनामिक थेरेपी (पीडीटी), और इम्यूनोथेरेपी जैसे विकल्प शामिल हो सकते हैं।
5.) प्रश्नः फेफड़ों के कैंसर के इलाज के बाद उपचार संबंधी जरूरी बातें ?
उत्तरः इलाज के बाद, रोगी को नियमित तौर पर चिकित्सकीय जांच, आहार और व्यायाम का ध्यान रखना, और उपचार के संबंधी सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए।
6.) प्रश्नः क्या फेफड़ों के कैंसर के बाद रिकवरी संभव है ?
उत्तरः हां फेफड़ों के कैंसर के उपचार के बाद रिकवरी संभव है, लेकिन यह इलाज के प्रकार, कैंसर की गंभीरता और रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है।