Subscribe to our
कोरोना काल के बाद हार्ट की बीमारी बढ़ गयी है। गैर संक्रामक बीमारी (एनसीडी) में कैंसर के बाद सबसे ज्यादा मौत हृदय की बीमारी से होती हैं। बीमारी से बचाव के लिए डॉक्टर जीवनशैली में बदलाव के साथ व्यायाम की सलाह देते हैं। लेकिन लक्षण दिखने हॉस्पिटल के डॉक्टर्स एंजियोग्राफी टेस्ट (Angiography test in Noida hospital) की भी सलाह देते है
अगर आपको छाती और सीने में दर्द रहने के साथ हफनी की समस्या बनी रहती है तो फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करने के साथ हमारे कॉर्डियोलॉजिस्ट के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
एंजियोग्राफी (Angiography) एक प्रकार का टेस्ट है। जिसमे एक्स-रे तकनीक की मदद से मानव शरीर विभिन्न अंगों की जांच होती है। टेस्ट में शरीर के जिस हिस्से की जांच करनी होती है तो उसे एक्सरे के द्वारा देखते हैं। जिस दौरान उस हिस्से की ब्लड वेसेल्स में एक अपारदर्शी पदार्थ इंजेक्ट करते हैं। जिससे उस हिस्से के अंदर की चीज स्पष्ट दिखाई दे।
कोरोनरी एंजियोग्राफी(Coronary Angiography) में दिल की रक्त वाहिकाओं को देखने के लिए एक्स-रे इमेजिंग का उपयोग करते हैं। कोरोनेरी एंजियोग्राफी को समझने से पहले एंजियोग्राफी को समझना (meaning of Angiography in hindi) आवश्यक है। जब एक्सरे तकनीक से हार्ट की आर्टरीज में डाई को इंजेक्ट कराकर हार्ट के ब्लड फ्लो को जांचते है कि कोरोनरी आर्टरीज में कोई ब्लॉकेज है या नहीं तो इस टेस्ट को कोरोनरी एंजियोग्राफी कहा जाता हैं। टेस्ट को एंजिओग्राम भी कहा जाता हैं । कोरोनेरी एंजियोग्राफी को समझने से पहले एंजियोग्राफी को समझना जरूरी है। एंजियोग्राफी(Angiography) में रेडियोधर्मी तत्व या डाई का प्रयोग करते हैं। इनकी मदद से रक्त वाहिनी नलिकाओं को एक्स-रे द्वारा साफ देख सकते हैं। डिजिटल सबस्ट्रेक्शन एंजियोग्राफी तकनीक से कंप्यूटर, धमनियों की पीछे के दृश्य को गायब करता है जिससे चित्र और ज्यादा साफ दिखाई पड़ता है। तकनीक का प्रयोग रक्त वाहिकाओं में अवरोध होने की स्थिति में पर करते हैं। इसकी सहायता से हृदय की धमनी में किसी रुकावट का पता चलता है। एअवरोधित धमनियों का पता चलने के बाद डॉक्टर उन धमनियों को एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) द्वारा खोलते हैं। उपचार के बाद रोगी के हृदय की बंद धमनियों में खून का प्रवाह सामान्य होता है। मरीज को आराम मिलता है। इससे हृदयाघात और हृदय संबंधित के उपचार में मदद होती है। जांच से पहले मरीज कोएनेस्थीसिया देते है।फिर आवश्यक उपकरणों से एंजियोग्राफी जांच (Angiography test) होती है।
कंप्यूटेड टोमोग्राफी एंजियोग्राफी (Computed Tomography Angiography):
कंप्यूटेड टोमोग्राफी एंजियोग्राफी में रक्त वाहिकाओं की विस्तृत स्थिति जानने के लिए सीटी स्कैनर का उपयोग करते हैं। डॉक्टर एक्स-रे कैथेटर, कंप्यूटेड टोमोग्राफी, मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) का उपयोग करता है।
कोरोनरी एंजियोग्राफी (Coronary Angiography):
कोरोनरी एंजियोग्राफी में विशेष डाई का उपयोग करते हैं। इसमें देखने के लिए एक्स-रे करते है कि हृदय में मौजूद धमनियों से रक्त कैसे बह रहा होता है।
डिजिटल सबट्रेक्शन एंजियोग्राफी(Digital Subtraction Angiography):
डिजिटल सबट्रेक्शन एंजियोग्राफी एक फ्लोरोस्कोपी तकनीक होती है। इसमें हड्डी में स्पष्ट दृश्य प्राप्त करने के लिए इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी का उपयोग करते हैं।
मैग्नेटिक रेजोनेंस एंजियोग्राफी(Magnetic Resonance Angiography):
मैग्नेटिक रेजोनेंस एंजियोग्राफी में शरीर की रक्त वाहिकाओं का दृश्य लेने के लिए रेडियो तरंगों और कंप्यूटर की मदद से शरीर का स्कैन करते हैं।
पल्मोनरी एंजियोग्राम (Pulmonary angiogram):
पल्मोनरी एंजियोग्राम में फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं की जांच होती है। एक स्पष्ट दृश्य प्राप्त करने के लिए डाई का उपयोग करते हैं।
रेडियोन्यूक्लाइड एंजियोग्राम(Radionuclide Angiography):
रेडियोन्यूक्लाइड एंजियोग्राम में न्यूक्लियर मेडिसिन प्रक्रिया होती है। जिसे ऊतकों की सही से जांच करने के लिए करते हैं।
रेनल एंजियोग्राम (Renal Angiography):
रेनल एंजियोग्राम में यह एक तरह का इमेज टेस्टिंग होता है। इसमें किडनी की वेसल्स की जांच होती है।
स्ट्रोक होना
दिल का दौरा पड़ना
धमनियों को चोट
अनियमित दिल की धड़कन होना
डाई या अन्य दवाओं के कारण एलर्जी
किडनी को नुकसान पहुंचना
लगातार खून बहना
संक्रमण होना
एंजियोग्राफी (Angiography) में शरीर के जिस हिस्से की जांच की जाती है उसे एक्सरे के द्वारा देखते है। यह टेस्ट यह बताता है की शरीर में ब्लड फ्लो और ब्लड सप्लाई हो पा रही या नहीं। टेस्ट में एक से दो घंटे का समय लगता है। टेस्ट के बाद पांच घंटे का आराम करना होता है। टेस्ट पूरा होने के बाद केथेटर ट्यूब को निकल लेते हैं। उस जगह रुई से दबाते है। जिससे खून न बहे। कई बार हिस्से को भरने के लिए टांके लगाए जाते हैं। पट्टी या ड्रेसिंग भी की जाती है। हृदय कैथीटेराइजेशन से दिल और रक्त वाहिनियों की स्थिति का पता लगाकर इलाज करते हैं। कोरोनरी एंजियोग्राफी (Coronary Angiography) प्रक्रिया दिल की स्थिति का पता लगाती है। जो हृदय की कैथेटर प्रक्रिया का सबसे आम प्रकार होती है। कोरोनेरी एंजियोग्राफी (Angiography) करने के लिए विशेष प्रकार की डाई रोगी के दिल की रक्त वाहिकाओं मेंडालते है। डाई को एक्स-रे मशीन की सहायता से देख सकते है। एक्स-रे मशीन तेजी से रोगी की रक्त वाहिकाओं के अंदर जाकर दृछवियों की श्रृंखला बनाती है। छवियों की इस सीरीज को एंजियोग्राम्स कहां जाता हैं। अगर जरूरत महसूस होती है तो डॉक्टर कोरोनेरी एंजियोग्राफी(Angiography) के दौरान ही एंजियोप्लास्टी (angioplasty) करते हैं। इसके लिए डॉक्टर रोगी के हाथ या कमर को सुन्न करने वाली दवा एनेसथीसिया देते है।कार्डियोलोजिस्ट कैथेटर नामक पतली खोखली ट्यूब को धमनी के माध्यम डालता है। यह हृदय की तरफ खिसकाता जाता है। फिर एक्स-रे फिल्म चिकित्सक को कैथेटर की सही स्थिति बनाने में मदद पहुंचती हैं। जब कैथेटर सही स्थान पर पहुंचता है तो डाई को कैथेटर में छोड़ देते हैं। अब एक्स-रे फिल्म धमनी के माध्यम से डाई की गतिविधि को देखकर खाका तैयार करती है। इसके बाद डाई रक्त प्रवाह में किसी रुकावट को उजागर कर दिखाती है। इसमें एक घंटा लगता है।
एंजियोग्राफी (Angiography) अस्पताल के कैथीटेराइजेशन लैब में होती है। इसलिए अस्पताल पहुंचकर जांच करानी होती है।
एंजियोग्राफी (Angiography) टेस्ट में करीब दो घंटे लगता है। इस उसी हिसाब से तैयारी करनी चाहिए। जिससे जांच के समय पर अस्पताल पहुंचा जा सके।
एंजियोग्राफी (Angiography) जांच के लिए अस्पताल जाते समय अपने आभूषण यानी की ज्वेलरी घर पर ही रखकर जाएं। इससे जांच के दौरान परेशानी नहीं होती है।
एंजियोग्राफी (Angiography) से पहले डॉक्टर कुछ कुछ भी न खाने के साथ कुछ भी नहीं पीने की सलाह देते हैं। इसलिए बेहतर होगा की बिना खाए और पिए जांच के लिए घर से निकले।
अगर किसी व्यक्ति की पुरानी बीमारी का इलाज चल रहा है तो डॉक्टर से एंजियोग्राफी जांच (Angiography test)कराने से पहले एक बार सलाह लेनी चाहिए।
अगर किसी मरीज को मधुमेह है, तो डॉक्टर से पूछना चाहिए कि कि क्या एंजियोग्राफी (Angiography) से पहले इंसुलिन और ओरल मेडिकेशन लेना चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह पर कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए।
हार्ट की बीमारी जानलेवा होती है। इसलिए इलाज और समय से जांच करवाना जरूरी है। एंजियोग्राफी (Angiography) के लिए आप हमारे डॉक्टर की भी सलाह ले सकते हैं। फेलिक्स हॉस्पिटल से संपर्क करने के साथ हमारे कॉर्डियोलॉजिस्ट के साथ एक परामर्श की तारीख तय करें। हमें कॉल करें - +91 9667064100।
बदलती जीवनशैली के कारण हृदय संबंधी बीमारियां तेजी बढ़ी है। कोरोना महामाही के बाद तो बुजुर्ग ही नहीं कम उम्र के लोग भी हार्ट अटैक की जद में आ रहे हैं। लिहाजा दिल से जुड़ी परेशानी के लिए की जाने वाली तरह-तरह की सर्जरी भी बढ़ती जा रही हैं। बदलती जीवनशैली के कारण हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। अगर बीपी, शुगर, कोलेस्ट्रॉल, मोटोपे का शिकार है हार्ट की बीमारी होने का खतर बढ़ जाता है। अगर आपको छाती और सीने में दर्द रहने के साथ हफनी की समस्या बनी रहती है तो जांच जरूर करानी चाहिए। बदलती जीवनशैली में अनहेल्दी खाना और बहुत कम फिजिकल एक्टिविटी। लोग हृदय संबंधी समस्या से परेशान हैं। कुछ लोग सीढ़ी चढ़ने, भारी सामान उठाने में परेशान होते हैं। सीने और छाती में भारीपन से नींद गायब हो रही है। बीपी, शुगर, कोलेस्ट्रॉल, मोटापे से कई लोगों को अधिकतर रात में हार्ट अटैक हो रहा है।
एंजियोग्राफी टेस्ट (Angiography test) की प्रक्रिया लोकल एनेस्थीसिया के माध्यम से बाह या जांघ को सुन्न करके होती है। फिर बाद बांह या जांघ के अंदर कैथेटर और तार डालकर उसकी धमनियों में आये अवरोधों को पता लगाते हैं। इससे अवरोध की स्थिति का पता चलता है कि अवरोध कितना बड़ा और उसकी स्थिति कैसी हैं। इस अवरोध को स्पष्ट रूप से देखने के लिए एक्सरे फिल्म बनाते है। बेहतर इमेज के लिए डाई इस्तेमाल करते है। एंजियोग्राफी (Angiography) के साथ सीधे मॉनीटर पर देखते हुए अवरोध को बैलून डालकर खोलते हैं। इस प्रक्रिया में लगभग छह से 12 घंटे भी लग सकते हैं। लेकिन आपको टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों को पालण करना होता है। वहीं रेडियल एंजियोग्राफी (Angiography) में धमनी की एंजियोग्राफी बांह के पास से जांच करते है। इस तकनीक से न तो खून के रिसाव होता है और न रोगी को लम्बे समय के लिये लेटना होता है। जांच के बाद रोगी मरीज जल्द अपने घर जाता है। अपने पैरों पर चलता है। इस जांच को करने से पहले मरीज को सलाह दी जाती है कि वह आठ घण्टे पहले कुछ भी नहीं खाए। बेहतर होता है की खाली पेट ही जांच के लिये हॉस्पिटल आए । जबकि इस जांच में एक्सरे किरण के प्रभाव से बचाने के लिये गर्भवती को यह परीक्षण न कराने की हिदायत दी जाती है। जिससे होने वाले बच्चे को नुकसान नहीं हो।
एनजाइना पर करते है ।
एनजाइना गंभीर होने पर या एनजाइना बार-बार होने पर करते है।
सीने में तीव्र दर्द करते है।
दिल की सर्जरी होने पर करते है।
कोरोनरी धमनी रोग का जोखिम होने पर करते है।
दिल की विफलता करते है।
दिल का दौरा पड़ने पर करते है।
कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित रखें।
नियमित चेकअप कराए।
तनाव न लें।
चिंता न करें।
गुस्से को काबू में रखें।
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करें।
डायबिटीज को नियंत्रित रखें।
वजन को संतुलित रखें।
स्मोकिंग बिलकुल नहीं करें।
दौड़भाग नहीं करें।
अधिक वजन न उठाएं।
फास्टफूड और चिकनाई वाले खाने से परहेज करें।
हार्ट पेशेंट को चिंता रहती है क्या खाएं और क्या नहीं। ह्रदय रोगियों को वसा युक्त पदार्थ यानी घी, तेल से दूरी बनाए रखनी चाहिए। सही खाने पीने से ही कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। इसलिए कैलोरी, वसा, कोलेस्ट्रॉल, सोडियम लेने की मात्रा को ध्यान में रखकर सेवन करना चाहिए। दिल के मरीज डॉक्टर की सलाह लेकर अपना डाइट चार्ट भी जरूर बनवाएं।
आर्टरी और वींस में ब्लॉकेज से बचाव के लिए स्वस्थ्य जीवनशैली को अपना बहुत जरूरी होता है। कोरोना महामारी के बाद से उन लोगों के हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या देखी है, जो स्वस्थ लाइफस्टाइल जीते हैं। वायरस से हार्ट में हुए ब्लड क्लॉट की वजह ऐसा होने के संभावना होती है। यह समस्या सभी उम्र के लोगों को होती है। कई बार ब्लॉकेज की वजह से हार्ट अटैक आता है। इसके केस भी काफी बढ़े हैं। इसलिए अच्छा खानपान के साथ एक्सरसाइज के लिए प्रतिदिन समय निकाले। तंबाकू युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। अगर कोई भी ऐसा नहीं करेंगे तो इस हार्ट की बीमारी की संभावना कम होगी। अगर फिर भी आपको परेशानी बढ़ रही हो तो आप हमारी कार्डियोलॉजी टीम से हॉस्पिटल नॉएडा में (heart hospital in noida) मिल सकते हैं |
यदि आप नोएडा में सर्वश्रेष्ठ अस्पताल की तलाश में हैं, तो फेलिक्स अस्पताल जाएँ या +(91)9667064100 पर कॉल करें।